Digital Signature क्या होता है? Hello Friends, आज के इस article में आपको Digital Signature in Hindi के बारे में जानकारी देने वाले है, यदि आप इन सवालों का जवाब हिंदी में जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट में Digital Signature से जुड़ी पूरी जानकारी शेयर की गई है। सभी सवालों का जवाब जानने इस से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने और डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) कैसे काम करते हैं? और क्यों इसे use किया जाता है पर भी एक नजर डालेंगे पूरी जानकारी के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़े:
Digital Signature क्या होता है?
डिजिटल हस्ताक्षर एक प्रकार से इलेक्ट्रॉनिक उंगलियों के निशान (electronic fingerprints) की तरह हैं। वे एक विशिष्ट प्रकार के electronic signature (ई-हस्ताक्षर) हैं। यह एक coded message form है, एक हस्ताक्षरकर्ता के रिकॉर्ड किए गए लेन-देन को Digital Signature सुरक्षित रूप से दस्तावेज़ के साथ जोड़ता है। डिजिटल हस्ताक्षर उच्चतम स्तर की सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वीकृति प्रदान करने के लिए एक मानक, स्वीकृत प्रारूप का उपयोग करता हैं, जिसे Public Key Infrastructure (PKI) कहा जाता है। PKI में identity verification के लिए एक digital certificate का उपयोग करना शामिल होता है।
Digital Signature का मुख्य उद्देश्य डिजिटल संचार में छेड़छाड़ और प्रतिरूपण की समस्या को हल करना है। डिजिटल हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों, लेनदेन या डिजिटल संदेशों की उत्पत्ति, पहचान और स्थिति का प्रमाण प्रदान कर सकते हैं। हस्ताक्षरकर्ता इसका उपयोग सूचित सहमति को स्वीकार करने के लिए भी कर सकते हैं। अमेरिका सहित कई देशों में, Digital Signature को पारंपरिक Handwritten document signatures की तरह ही कानूनी रूप से legally binding माना जाता है।
डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) कैसे काम करता हैं?
जैसे हस्तलिखित हस्ताक्षर, प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता के लिए विशिष्ट (unique) होते हैं वैसे ही Digital Signature भी unique होता है। डिजिटल हस्ताक्षर समाधान प्रदाता, जैसे कि डॉक्यूमेंटसाइन, एक विशिष्ट प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, जिसे पीकेआई कहा जाता है। पीकेआई को providers को दो लंबी संख्याएं Generate करने के लिए एक Mathematical algorithm का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, जिसे keys कहा जाता है। एक keys सार्वजनिक (public) है और एक keys निजी (private) होती है। Digital Signature तकनीक के लिए आवश्यक है कि सभी पक्ष को विश्वास करना है कि सिग्नेचर बनाने वाले व्यक्ति ने private keys को गुप्त रखा है। यदि किसी और के पास private signing key तक पहुंच है या फिर जानकारी है, तो वह private key holder के नाम पर fraudulent डिजिटल हस्ताक्षर बना सकता है।
जब भी कोई हस्ताक्षरकर्ता किसी दस्तावेज़ पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से signature करता है, तो हस्ताक्षरकर्ता के private keys को use करके हस्ताक्षर बनाया जाता है, जिसे हमेशा हस्ताक्षरकर्ता को इसे सुरक्षित रखा जाता है। mathematical algorithm एक सिफर (cipher) की तरह काम करता है, जो की signed document से मेल खाने वाला डेटा बनाता है, जिसे हैश (hash) कहा जाता है, और उस डेटा को एन्क्रिप्ट करता है। जो परिणामी एन्क्रिप्टेड डेटा (resulting encrypted data) होता है वही डिजिटल हस्ताक्षर होता है। हस्ताक्षर को उस समय के साथ चिह्नित किया जाता है जब दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए थे। यदि हस्ताक्षर करने के बाद दस्तावेज़ में परिवर्तन होता है, तो डिजिटल हस्ताक्षर अमान्य हो जाता है।
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Conclusion:
इस blog post के लिखने का हमारा एक ही उद्देश्य था की, आप लोगों को Digital Signature और इससे जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी हमारे इस article से मिले। हम उम्मीद करते है की आपको इस article को पढ़ कर के सही से चीजों की जानकारी मिली होगी। आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों और अन्य लोगों में भी शेयर कर सकते है, ताकि इसके बारे में सभी को जानकारी मिल पाए।